*आज का प्रेरक प्रसंग*
Moral stories in hindi,Hindi story,hindi kahani,kahaniya,kahaniya,jadui kahaniya,hindikahaniya,kahani hindi,bhoot ki kahaniya,pariyo ki kahani,bachcho ki kahani,hasy kathaye,lok kathaye,motovational story,prerak prasang,moral kahaniya,hindi story
*आपसी समझदारी से काम आसान*
=========================
एक दिन प्रातः सत्संग खत्म होने पर भी एक आदमी वहीं बैठा रहा। साधु ने उससे कारण पूछा तो उस व्यक्ति ने कहा,
"मैं गृहस्थ हूं। घर में सभी लोगों से मेरा झगड़ा होते रहता है। मैं जानना चाहता हूं कि मेरे यहां गृह क्लेश क्यों होता है और वह कैसे दूर हो सकता है ?"
साधु थोड़ी देर चुप रहे। फिर उन्होंने अपनी पत्नी से कहा, ‘दीपक जला कर लाओ।’
साधु की पत्नी दीपक जला कर ले आईं। वह आदमी हैरानी से देखता रहा कि साधु ने दिन में दीपक क्यों मँगवाया ?
थोड़ी देर बाद कबीर बोले, ‘कुछ मीठा दे जाना।’ इस बार उनकी पत्नी मीठे के बजाय नमकीन ले आईं। उस आदमी ने सोचा कि यह तो शायद पागलों का घर है। मीठा के बदले नमकीन, दिन में दीपक, यह सब क्या है ?
वह बोला, ‘ठीक है, मैं चलता हूं।’ साधु ने पूछा, ‘आपको अपनी समस्या का समाधान मिल गया या अभी कुछ संशय बाकी है?’
वह व्यक्ति बोला, ‘मेरी समझ में कुछ नहीं आया।’
साधु ने कहा, ‘मैंने दीपक मंगवाया तो मेरी घरवाली कह सकती थी कि तुम क्या सठिया गए हो? प्रातःकाल दीपक की क्या जरूरत है? लेकिन नहीं, उसने सोचा कि जरूर किसी काम के लिए मंगवाया होगा। इसके बाद मैंने मीठा मंगवाया तो वह नमकीन दे गई। मैं चुप रहा, यह सोचकर कि हो सकता है घर में कोई मीठी वस्तु न हो। यही तुम्हारे सवाल का जवाब है। आपसी विश्वास बढ़ाने और तकरार में न फंसने से विषम परिस्थितियां अपने आप दूर हो जाती हैं।’
इतनी देर में वह व्यक्ति समझ चुका था कि गृहक्लेश का रोना रोने से कुछ नहीं होता।
*सीख :----*
=======
गृहस्थी में आपसी विश्वास से ही तालमेल बनता है। पति से गलती हो तो पत्नी संभाल ले और पत्नी से कोई त्रुटि हो तो पति उसे नजरअंदाज कर दे, यही गृहस्थी का मूल मंत्र है।