moral stories in hindi,kahaniya hindi,kahaniya in hindi,hindi me kahaniya,hindi mein kahani,kahaniyan hindi विनयशीलता


  •  रामायण से जुड़ी हुई एक पौराणिक कथा तथा प्रेरणादायक कथा | यह कथा इंसान को अहंकार से बचाती हैं तथा प्रशंसा सुनकर भी विनयशीलता का गुण किस तरह से अपनाया जा सकता है इसका जीवंत उदाहरण प्रदान करती हैं |                      


  "विनयशीलता"

       भगवान श्रीराम वनवास काल के दौरान संकट में हनुमान जी द्वारा की गई अनूठी सहायता से अभिभूत थे। एक दिन उन्होंने कहा, ‘हे हनुमान, संकट के समय तुमने मेरी जो सहायता की, मैं उसे याद कर गदगद हो उठा हूँ। सीता जी का पता लगाने का दुष्कर कार्य तुम्हारे बिना असंभव था। लंका जलाकर तुमने रावण का अहंकार चूर-चूर किया, वह कार्य अनूठा था। घायल लक्ष्मण के प्राण बचाने के लिए यदि तुम संजीवनी बूटी न लाते, तो न जाने क्या होता ?’ तमाम बातों का वर्णन करके श्रीराम ने कहा, ‘तेरे समान उपकारी सुर, नर, मुनि कोई भी शरीरधारी नहीं है। मैंने मन में खूब विचार कर देख लिया, मैं तुमसे उॠण नहीं हो सकता।’  सीता जी ने कहा, "तीनों लोकों में कोई ऐसी वस्तु नहीं है, जो हनुमान जी को उनके उपकारों के बदले में दी जा सके।" श्रीराम ने पुन: जैसे ही कहा, "हनुमान, तुम स्वयं बताओ कि मैं तुम्हारे अनंत उपकारों के बदले क्या दूँ, जिससे मैं ॠण मुक्त हो सकूँ।"
        श्री हनुमान जी ने हर्षित होकर, प्रेम में व्याकुल होकर कहा, "भगवन, मेरी रक्षा कीजिए- मेरी रक्षा कीजिए, अभिमान रूपी शत्रु कहीं मेरे तमाम सत्कर्मों को नष्ट नहीं कर डाले। प्रशंसा ऐसा दुर्गुण है, जो अभिमान पैदा कर तमाम संचित पुण्यों को नष्ट कर डालता है।" कहते-कहते वह श्रीराम जी के चरणों में लोट गए। हनुमान जी की विनयशीलता देखकर सभी हतप्रभ हो उठे।

🌹🌹🙏🙏🌹🌹
kahaniya hindi,kahaniya in hindi,hindi me kahaniya,hindi mein kahani,kahaniyan hindi


SHARE THIS
Previous Post
Next Post

Moral stories in hindi,Hindi story,hindi kahani,kahaniya,kahaniya,jadui kahaniya,hindikahaniya,kahani hindi, आत्म मूल्यांकन

Moral stories in hindi,Hindi story,hindi kahani,kahaniya,kahaniya,jadui kahaniya,hindikahaniya,kahani hindi, आत्म मूल्यांकन bhoot ki ...