Moral stories in hindi,Hindi story,hindi kahani,kahaniya,kahaniya,jadui kahaniya,hindikahaniya,kahani hindi,न माया मिली न राम
bhoot ki kahaniya,pariyo ki kahani,bachcho ki kahani,hasy kathaye,lok kathaye,motovational story,prerak prasang,moral kahaniya,hindi story
🙇♂🙇♂🙇♂🙇♂🙇♂🙇♂🙇♂🙇♂🙇♂🙇♂
*आज का प्रेरक प्रसंग*
👇🏽👇🏽👇🏽👇🏽
*💐न माया मिली न राम!*💐
किसी गाँव में दो दोस्त रहते थे. एक का नाम हीरा था और दूसरे का मोती. दोनों में गहरी दोस्ती थी और वे बचपन से ही खेलना-कूदना, पढना-लिखना हर काम साथ करते आ रहे थे.
जब वे बड़े हुए तो उनपर काम-धंधा ढूँढने का दबाव आने लगा. लोग ताने मारने लगे कि दोनों निठल्ले हैं और एक पैसा भी नही कमाते.
एक दिन दोनों ने विचार-विमर्श कर के शहर की ओर जाने का फैसला किया. अपने घर से रास्ते का खाना पीना ले कर दोनों भोर होते ही शहर की ओर चल पड़े.
शहर का रास्ता एक घने जंगल से हो कर गुजरता था. दोनों एक साथ अपनी मंजिल की ओर चले जा रहे थे. रास्ता लम्बा था सो उन्होंने एक पेड़ के नीचे विश्राम करने का फैसला किया. दोनों दोस्त विश्राम करने बैठे ही थे की इतने में एक साधु वहां पर भागता हुआ आया. साधु तेजी से हांफ रहा था और बेहद डरा हुआ था.
मोती ने साधु से उसके डरने का कारण पूछा.
साधु ने बताय कि-
आगे के रास्ते में एक डायन है और उसे हरा कर आगे बढ़ना बहुत मुश्किल है, मेरी मानो तुम दोनों यहीं से वापस लौट जाओ.
इतना कह कर साधु अपने रास्ते को लौट गया.
हीरा और मोती साधु की बातों को सुन कर असमंजस में पड़ गए. दोनों आगे जाने से डर रहे थे. दोनों के मन में घर लौटने जाने का विचार आया, लेकिन लोगों के ताने सुनने के डर से उन्होंने आगे बढ़ने का निश्चेय किया.
आगे का रास्ता और भी घना था और वे दोनों बहुत डरे हुए भी थे. कुछ दूर और चलने के बाद उन्हें एक बड़ा सा थैला पड़ा हुआ दिखाई दिया. दोनों दोस्त डरते हुए उस थैले के पास पहुंचे.
उसके अन्दर उन्हें कुछ चमकता हुआ नज़र आया. खोल कर देखा तो उनकी ख़ुशी का कोई ठिकाना ही न रहा. उस थैले में बहुत सारे सोने के सिक्के थे. सिक्के इतने अधिक थे कि दोनों की ज़िंदगी आसानी से पूरे ऐश-ओ-आराम से कट सकती थी. दोनों ख़ुशी से झूम रहे थे, उन्हें अपने आगे बढ़ने के फैसले पर गर्व हो रहा था.
साथ ही वे उस साधु का मजाक उड़ा रहे थे कि वह कितना मूर्ख था जो आगे जाने से डर गया.
अब दोनों दोस्तों ने आपस में धन बांटने और साथ ही भोजन करने का निश्चेय किया.
दोनों एक पेड़ के नीचे बैठ गए. हीरा ने मोती से कहा कि वह आस-पास के किसी कुएं से पानी लेकर आये, ताकि भोजन आराम से किया जा सके. मोती पानी लेने के लिए चल पड़ा.
मोती रास्ते में चलते-चलते सोच रहा था कि अगर वो सारे सिक्के उसके हो जाएं तो वो और उसका परिवार हमेशा राजा की तरह रहेगा. मोती के मन में लालच आ चुका था.
वह अपने दोस्त को जान से मर डालने की योजना बनाने लगा. पानी भरते समय उसे कुंए के पास उसे एक धारदार हथियार मिला. उसने सोचा की वो इस हथियार से अपने दोस्त को मार देगा और गाँव में कहेगा की रास्ते में डाकुओं ने उन पर हमला किया था. मोती मन ही मन अपनी योजना पर खुश हो रहा था.
वह पानी लेकर वापस पहुंचा और मौका देखते ही हीरा पर पीछे से वार कर दिया. देखते-देखते हीरा वहीं ढेर हो गया.
मोती अपना सामान और सोने के सिक्कों से भरा थैला लेकर वहां से वापस भागा.
कुछ एक घंटे चलने के बाद वह एक जगह रुका. दोपहर हो चुकी थी और उसे बड़ी जोर की भूख लग आई थी. उसने अपनी पोटली खोली और बड़े चाव से खाना-खाने लगा.
लेकिन ये क्या ? थोड़ा खाना खाते ही मोती के मुँह से खून आने आने लगा और वो तड़पने लगा. उसे
एहसास हो चुका था कि जब वह पानी लेने गया था तभी हीरा ने उसके खाने में कोई जहरीली जंगली बूटी मिला दी थी. कुछ ही देर में उसकी भी तड़प-तड़प कर मृत्यु हो गयी.
अब दोनों दोस्त मृत पड़े थे और वो थैला यानी माया रूपी डायन जस का तस पड़ा हुआ था.
जी हाँ दोस्तों उस साधु ने एकदम ठीक कहा था कि आगे डायन है. वो सिक्कों से भरा थैला उन दोनों दोस्तों के लिए डायन ही साबित हुआ. ना वो डायन रूपी थैला वहां होता न उनके मन में लालच आता और ना वे एक दूसरे की जाना लेते.
मित्रों! यही जीवन का सच भी है. हम माया यानी धन-दौलत-सम्पदा एकत्रित करने में इतना उलझ जाते हैं कि अपने रिश्ते-नातों तक को भुला देते हैं. माया रूपी डायन आज हर घर में बैठी है. इसी माया के चक्कर में मानव दानव बन बैठा है. हमें इस प्रेरक कहानी से ये सीख लेनी चाहिए की हमें कभी भी पैसे को ज़रुरत से अधिक महत्त्व नहीं देना चाहिए और अपनी दोस्ती… अपने रिश्तों के बीच में इसको कभी नहीं लाना चाहिए.
और हमारे पूर्वज भी तो कह गए हैं-
माया के चक्कर में दोनों गए, न माया मिली न राम
इसलिए हमें हमेशा माया के लोभ व धन के लालच से बचना चाहिए और ज्यादा ना सही पर कुछ समय भगवान् की अराधना में ज़रूर लगाना चाहिए.
bhoot ki kahaniya,pariyo ki kahani,bachcho ki kahani,hasy kathaye,lok kathaye,motovational story,prerak prasang,moral kahaniya,hindi story
🙇♂🙇♂🙇♂🙇♂🙇♂🙇♂🙇♂🙇♂🙇♂🙇♂
*आज का प्रेरक प्रसंग*
👇🏽👇🏽👇🏽👇🏽
*💐न माया मिली न राम!*💐
किसी गाँव में दो दोस्त रहते थे. एक का नाम हीरा था और दूसरे का मोती. दोनों में गहरी दोस्ती थी और वे बचपन से ही खेलना-कूदना, पढना-लिखना हर काम साथ करते आ रहे थे.
जब वे बड़े हुए तो उनपर काम-धंधा ढूँढने का दबाव आने लगा. लोग ताने मारने लगे कि दोनों निठल्ले हैं और एक पैसा भी नही कमाते.
एक दिन दोनों ने विचार-विमर्श कर के शहर की ओर जाने का फैसला किया. अपने घर से रास्ते का खाना पीना ले कर दोनों भोर होते ही शहर की ओर चल पड़े.
शहर का रास्ता एक घने जंगल से हो कर गुजरता था. दोनों एक साथ अपनी मंजिल की ओर चले जा रहे थे. रास्ता लम्बा था सो उन्होंने एक पेड़ के नीचे विश्राम करने का फैसला किया. दोनों दोस्त विश्राम करने बैठे ही थे की इतने में एक साधु वहां पर भागता हुआ आया. साधु तेजी से हांफ रहा था और बेहद डरा हुआ था.
मोती ने साधु से उसके डरने का कारण पूछा.
साधु ने बताय कि-
आगे के रास्ते में एक डायन है और उसे हरा कर आगे बढ़ना बहुत मुश्किल है, मेरी मानो तुम दोनों यहीं से वापस लौट जाओ.
इतना कह कर साधु अपने रास्ते को लौट गया.
हीरा और मोती साधु की बातों को सुन कर असमंजस में पड़ गए. दोनों आगे जाने से डर रहे थे. दोनों के मन में घर लौटने जाने का विचार आया, लेकिन लोगों के ताने सुनने के डर से उन्होंने आगे बढ़ने का निश्चेय किया.
आगे का रास्ता और भी घना था और वे दोनों बहुत डरे हुए भी थे. कुछ दूर और चलने के बाद उन्हें एक बड़ा सा थैला पड़ा हुआ दिखाई दिया. दोनों दोस्त डरते हुए उस थैले के पास पहुंचे.
उसके अन्दर उन्हें कुछ चमकता हुआ नज़र आया. खोल कर देखा तो उनकी ख़ुशी का कोई ठिकाना ही न रहा. उस थैले में बहुत सारे सोने के सिक्के थे. सिक्के इतने अधिक थे कि दोनों की ज़िंदगी आसानी से पूरे ऐश-ओ-आराम से कट सकती थी. दोनों ख़ुशी से झूम रहे थे, उन्हें अपने आगे बढ़ने के फैसले पर गर्व हो रहा था.
साथ ही वे उस साधु का मजाक उड़ा रहे थे कि वह कितना मूर्ख था जो आगे जाने से डर गया.
अब दोनों दोस्तों ने आपस में धन बांटने और साथ ही भोजन करने का निश्चेय किया.
दोनों एक पेड़ के नीचे बैठ गए. हीरा ने मोती से कहा कि वह आस-पास के किसी कुएं से पानी लेकर आये, ताकि भोजन आराम से किया जा सके. मोती पानी लेने के लिए चल पड़ा.
मोती रास्ते में चलते-चलते सोच रहा था कि अगर वो सारे सिक्के उसके हो जाएं तो वो और उसका परिवार हमेशा राजा की तरह रहेगा. मोती के मन में लालच आ चुका था.
वह अपने दोस्त को जान से मर डालने की योजना बनाने लगा. पानी भरते समय उसे कुंए के पास उसे एक धारदार हथियार मिला. उसने सोचा की वो इस हथियार से अपने दोस्त को मार देगा और गाँव में कहेगा की रास्ते में डाकुओं ने उन पर हमला किया था. मोती मन ही मन अपनी योजना पर खुश हो रहा था.
वह पानी लेकर वापस पहुंचा और मौका देखते ही हीरा पर पीछे से वार कर दिया. देखते-देखते हीरा वहीं ढेर हो गया.
मोती अपना सामान और सोने के सिक्कों से भरा थैला लेकर वहां से वापस भागा.
कुछ एक घंटे चलने के बाद वह एक जगह रुका. दोपहर हो चुकी थी और उसे बड़ी जोर की भूख लग आई थी. उसने अपनी पोटली खोली और बड़े चाव से खाना-खाने लगा.
लेकिन ये क्या ? थोड़ा खाना खाते ही मोती के मुँह से खून आने आने लगा और वो तड़पने लगा. उसे
एहसास हो चुका था कि जब वह पानी लेने गया था तभी हीरा ने उसके खाने में कोई जहरीली जंगली बूटी मिला दी थी. कुछ ही देर में उसकी भी तड़प-तड़प कर मृत्यु हो गयी.
अब दोनों दोस्त मृत पड़े थे और वो थैला यानी माया रूपी डायन जस का तस पड़ा हुआ था.
जी हाँ दोस्तों उस साधु ने एकदम ठीक कहा था कि आगे डायन है. वो सिक्कों से भरा थैला उन दोनों दोस्तों के लिए डायन ही साबित हुआ. ना वो डायन रूपी थैला वहां होता न उनके मन में लालच आता और ना वे एक दूसरे की जाना लेते.
मित्रों! यही जीवन का सच भी है. हम माया यानी धन-दौलत-सम्पदा एकत्रित करने में इतना उलझ जाते हैं कि अपने रिश्ते-नातों तक को भुला देते हैं. माया रूपी डायन आज हर घर में बैठी है. इसी माया के चक्कर में मानव दानव बन बैठा है. हमें इस प्रेरक कहानी से ये सीख लेनी चाहिए की हमें कभी भी पैसे को ज़रुरत से अधिक महत्त्व नहीं देना चाहिए और अपनी दोस्ती… अपने रिश्तों के बीच में इसको कभी नहीं लाना चाहिए.
और हमारे पूर्वज भी तो कह गए हैं-
माया के चक्कर में दोनों गए, न माया मिली न राम
इसलिए हमें हमेशा माया के लोभ व धन के लालच से बचना चाहिए और ज्यादा ना सही पर कुछ समय भगवान् की अराधना में ज़रूर लगाना चाहिए.