प्रेरक प्रसंग लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
प्रेरक प्रसंग लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
Moral stories in hindi,Hindi story,hindi kahani,kahaniya,kahaniya,jadui kahaniya,hindikahaniya,kahani hindi,टोडरमल की रचना और उनकी माँ

Moral stories in hindi,Hindi story,hindi kahani,kahaniya,kahaniya,jadui kahaniya,hindikahaniya,kahani hindi,टोडरमल की रचना और उनकी माँ

Moral stories in hindi,Hindi story,hindi kahani,kahaniya,kahaniya,jadui kahaniya,hindikahaniya,kahani hindi,टोडरमल की रचना और उनकी माँ

bhoot ki kahaniya,pariyo ki kahani,bachcho ki kahani,hasy kathaye,lok kathaye,motovational story,prerak prasang,moral kahaniya,hindi story

आज का प्रेरक प्रसंग*

        *टोडरमल की रचना और उनकी माँ*
===========================

प्रसिद्ध विद्वान पंडित टोडरमल राजस्थान के रहने वाले थे। एक बार उन्होंने एक ग्रंथ लिखने की योजना बनाई। इसके लिए उन्होंने अपना पूरा ध्यान पठन-पाठन और लेखन पर केंद्रित कर लिया। कार्य करते हुए उन्हें दिन, महीनों का पता ही न चला। काफी समय बीत गया। एक दिन वह अपनी मां के साथ भोजन करने बैठे। मां ने बड़े प्रेम से टोडरमल को सब्जी परोसी, चपातियां दीं और खाने के लिए कहा।

टोडरमल ने एक टुकड़ा खाया, फिर दूसरा टुकड़ा खाया और खाते-खाते रुक गए। यह देखकर उनकी मां बोलीं, 'बेटा, क्या बात है ? क्या तुम्हें आज मेरी बनी सब्जी पसंद नहीं आई।' मां की बात सुनकर टोडरमल सहजता से बोले, 'नहीं मां, ऐसी बात नहीं है। पर मुझे लग रहा है कि आज आप सब्जी में नमक डालना भूल गई हैं।' बेटे की बात सुनकर मां उन्हें हैरानी से देखने लगीं।

टोडरमल ने पूछा,'मां क्या हुआ? क्या मैंने कोई गलत बात कह दी। आप मुझे इतनी हैरानी से क्यों देख रही हैं?' यह सुनकर मां मुस्करा कर बोलीं, 'बेटा, मैं तेरे सवाल का जवाब अवश्य दूंगी। पहले मुझे यह बता कि क्या आज तेरा ग्रंथ पूरा हो गया है।' टोडरमल प्रसन्न होकर बोले, 'हां मां, आज मेरा ग्रंथ पूरा हो गया है। इसलिए मैं चैन की सांस ले पा रहा हूं।' फिर वह मां की ओर देखकर बोले, 'पर मां तुम्हें यह कैसे पता चला कि मेरा ग्रंथ पूरा हो गया है। मैंने तो अभी इस बारे में तुम्हें कुछ बताया ही नहीं।'

इस पर मां बोली, 'बेटा। दरअसल मैं कई दिनों से सब्जी में जान-बूझकर कुछ कमी छोड़ती थी कि इसी बहाने तुम मुझसे कुछ देर बात करोगे। लेकिन तुम अपने काम में इतने मगन थे कि तुम्हें सब्जी की कमी का पता ही न चला।' टोडरमल का वह ग्रंथ 'मोक्षमार्ग' अत्यंत प्रसिद्ध है। अपना कार्य पूरी तन्मयता से करने वालों को सफलता अवश्य मिलती है।


*कथांत एक शिक्षाप्रद सारांश के साथ:*

हर कार्य में सफलता प्राप्त करने हेतु अपना सो प्रतिशत लगाना जरूरी है। पूर्ण एकाग्रता से कार्य करने पर सफलता मिलती है। कार्य को पूरी तन्मयता से करना चाहिए। हमें पूरी तरह तन, मन व भाव से कार्य करना चाहिए तभी हम सम्पूर्ण हो पाते है। अन्यथा हम बिखरे-बिखरे से रहते है। कार्य को समग्रता से करने पर ही आनन्द मिलता है। यह एक आध्यात्मिक सत्य भी है।
Moral stories in hindi,Hindi story,hindi kahani,kahaniya,kahaniya,jadui kahaniya,hindikahaniya,kahani hindi,लक्ष्मी के पैर

Moral stories in hindi,Hindi story,hindi kahani,kahaniya,kahaniya,jadui kahaniya,hindikahaniya,kahani hindi,लक्ष्मी के पैर

Moral stories in hindi,Hindi story,hindi kahani,kahaniya,kahaniya,jadui kahaniya,hindikahaniya,kahani hindi,लक्ष्मी के पैर

bhoot ki kahaniya,pariyo ki kahani,bachcho ki kahani,hasy kathaye,lok kathaye,motovational story,prerak prasang,moral kahaniya,hindi story

*📓आज का प्रेरक प्रसंग📓*

🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
             *!!!---: लक्ष्मी के पैर :---!!!*
=========================

रात बजे का समय रहा होगा, एक लड़का एक जूतों की दुकान में आता है. गांव का रहने वाला था पर तेज था ,उसका बोलने का लहज़ा गाव वालो की तरह का था, पर बहुत ठहरा हुआ लग रहा था. लगभग 22 वर्ष का रहा होगा .

*दुकानदार की पहली नज़र पैरों पर ही जाती है. उसके पैर में लेदर के शूज थे,सही से पाॅलीश किये हुये थे*

दुकानदार - क्या सेवा करू ?
लड़का - मेरी माँ के लिये चप्पल चाहिये,किंतु टिकाऊ होनी चाहिये
दुकानदार - वे आई है क्या ?उनके पैर का नाप ?"

*लड़के ने अपना बटुआ बाहर निकाला, उसको चार बार फोल्ड किया एक कागज़ पर पेन से  आऊटलाईन बनाई दोनों पैर की.*

दुकादार - अरे मुझे तो नाप के लिये नम्बर चाहिये था.

* वह लड़का ऐसा बोला मानो कोई बाँध फूट गया हो "क्या नाप बताऊ साहब?*
मेरी माँ की जिंदगी बीत गई, पैरों में कभी चप्पलच नही पहनी, माँ मेरी मजदूर है, काँटे झाड़ी में भी जानवरो जैसे मेहनत करकर के मुझे पढ़ाया , पढ़कर,अब नोकरी लगी. आज पहली तनख़्वाह मिली दिवाली पर घर जा रहा हूं, तो सोचा माँ के लिए क्या ले जाऊ ? तो मन मे आया कि अपनी पहली तनख़्वाह से माँ के लिये चप्पल लेकर जाऊँ ."

*दुकानदार ने अच्छी टिकाऊ चप्पल दिखाई जिसकी आठ सौ रुपये कीमत थी* .
"चलेगी क्या "वह उसके लिये तैयार था.

दुकानदार ने सहज ही पूछ लिया; "कितनी तनख़्वाह है तेरी ?"

"अभी तो बारह हजार,रहना - खाना मिलाकर सात-आठ हजार खर्च हो जाते है यहाँ, और दो - तीन हजार माँ को भेज देता हूँ."

*अरे फिर आठ सौ रूपये कहीं  ज्यादा तो नहीं  .....तो बीच में ही काटते हुए बोला .... नही कुछ नही होता*

दुकानदार ने बाॅक्स पेक कर दिया उसने पैसे दिये.
ख़ुशी ख़ुशी वह बाहर निकला.

*चप्पल जैसी चीज की, कोई किसी को इतनी महंगी भेंट नही दे सकता. ......... पर दुकानदार ने उसे कहा- "थोड़ा रुको! दुकानदार ने एक और बाॅक्स उसके हाथ में दिया. "यह चप्पल माँ को तेरे इस भाई की ओर से गिफ्ट । माँ से कहना पहली ख़राब हो जाय तो दूसरी पहन लेना नँगे पैर नही घूमना,और इसे लेने से मना मत करना."*

दुकानदार की और उसकी दोनों की आँखे भर आईं.

दुकानदार ने पूछा "क्या नाम है तेरी माँ का?" .
"लक्ष्मी "उसने उत्तर दिया.
दुकानदार ने एकदम से दूसरी मांग करते हुए कहा, उन्हें "मेरा प्रणाम कहना, और क्या मुझे एक चीज़ दोगे ?

*वह पेपर जिस पर तुमने पैरों की आऊटलाईन बनाई थी,वही पेपर मुझे चाहिये*.
वह कागज़ दुकानदार के हाथ मे देकर ख़ुशी ख़ुशी चला गया ।*

वह फोल्ड वाला कागज़ लेकर दुकानदार ने अपनी दुकान के पूजा घर में रख़ा.
दुकान के पूजाघर में कागज़ को रखते हुये दुकानदार के बच्चों ने देख लिया था और उन्होंने पूछ लिया कि ये क्या है पापा  ?"

*दुकानदार ने लम्बी साँस लेकर अपने बच्चों से बोला;*
"लक्ष्मीजी के पैर " है बेटा
 एक सच्चे भक्त ने उसे बनाया है . इससे धंधे में बरकत आती है.*"

बच्चों ने, दुकानदार ने और सभी ने मन से उन पैरों को प्रणाम किया,......

*सदैव प्रसन्न रहिये!!*
*जो प्राप्त है-पर्याप्त है!!*
https://www.facebook.com/groups/422360518220835/
*🎗📓 शिक्षा जगत समाचार📓🎗*
Moral stories in hindi,Hindi story,hindi kahani,kahaniya,kahaniya,jadui kahaniya,hindikahaniya,kahani hindi,अहं के त्याग से ही जीवन सार्थक

Moral stories in hindi,Hindi story,hindi kahani,kahaniya,kahaniya,jadui kahaniya,hindikahaniya,kahani hindi,अहं के त्याग से ही जीवन सार्थक

Moral stories in hindi,Hindi story,hindi kahani,kahaniya,kahaniya,jadui kahaniya,hindikahaniya,kahani hindi,अहं के त्याग से ही जीवन सार्थक

bhoot ki kahaniya,pariyo ki kahani,bachcho ki kahani,hasy kathaye,lok kathaye,motovational story,prerak prasang,moral kahaniya,hindi story

*आज का प्रेरक प्रसंग*


      *अहं के त्याग से ही जीवन सार्थक*
==========================


दुनिया में व्यर्थ सिर्फ अहंकार ही होता है इससे मिलता तो कुछ नहीँ बल्कि जो है, उसे भी नष्ट कर देता है। इससे यथासंभव बचना चाहिए।

एक ऋषि थे-सर्वथा सहज, निराभिमानी, वैरागी और अत्यधिक ज्ञानी। दूर -दूर से लोग उनके पास ज्ञान अर्जन करने के लिए आते थे। एक दिन एक युवक ने आकर उनके समक्ष शिष्य बनने की इच्छा प्रकट की। ऋषि ने सहमति दे दी। वह ऋषि के पास रहने लगा।वह ऋषि की शिक्षा को पूर्ण मनोयोग से ग्रहण करता। एक दिन ऋषि ने कहा -जाओ वत्स; तुम्हारी शिक्षा पूर्ण हुई। अब तुम इसका उपयोग कर दूसरों का जीवन बेहतर बनाओ।
                           

युवक ने उन्हें गुरुदक्षिणा देनी चाही। ऋषि बोले यदि तुम गुरु दक्षिणा देना ही चाहते हो तो वह चीज लेकर आओ,जो बिल्कुल व्यर्थ हो। युवक व्यर्थ चीज की खोज में चल पड़ा।  उसने सोचा मिट्टी ही सबसे व्यर्थ हो सकती है। यह सोचकर उसने मिट्टी लेने के लिए हाथ बढ़ाया, तो वह बोल उठी -तुम मुझे व्यर्थ समझते हो? धरती का सारा वैभव मेरे गर्भ में ही प्रकट होता है। ये विविध रूप,रस, गंध क्या मुझ से उत्पन्न नहीं होते? युवक आगे बढ़ा तो उसे गंदगी का ढेर दिखाई दिया। उसने गंदगी की ओर हाथ बढ़ाया तो उसमें से आवाज आई -क्या मुझसे बेहतर खाद धरती पर मिलेगी? सारी फसलेँ मुझसे ही पोषण पाती है,फिर मैं व्यर्थ कैसे हो सकती हूँ ?
                               

युवक सोचने लगा,वस्तुतः सृष्टि का हर पदार्थ अपने में उपयोगी है। व्यर्थ और तुच्छ तो वह है जो दूसरों को व्यर्थ व तुच्छ समझता है और अहंकार के सिवा और क्या हो सकता है? युवक तत्काल ऋषि के पास जाकर बोला कि वह गुरु दक्षिणा में अपना अहंकार देने आया है यह सुनकर ऋषि बोले ठीक समझे वत्स।अहंकार के विसर्जन से ही विद्या सार्थक और फलवती होती है। कथा का संकेत स्पष्ट है कि दुनिया में व्यर्थ सिर्फ अहंकार होता है ॥

"ज्ञानविघ्नोSहंकार:
Moral stories in hindi,Hindi story,hindi kahani,kahaniya,kahaniya,jadui kahaniya,hindikahaniya,kahani hindi,न माया मिली न राम

Moral stories in hindi,Hindi story,hindi kahani,kahaniya,kahaniya,jadui kahaniya,hindikahaniya,kahani hindi,न माया मिली न राम

Moral stories in hindi,Hindi story,hindi kahani,kahaniya,kahaniya,jadui kahaniya,hindikahaniya,kahani hindi,न माया मिली न राम

bhoot ki kahaniya,pariyo ki kahani,bachcho ki kahani,hasy kathaye,lok kathaye,motovational story,prerak prasang,moral kahaniya,hindi story

🙇‍♂🙇‍♂🙇‍♂🙇‍♂🙇‍♂🙇‍♂🙇‍♂🙇‍♂🙇‍♂🙇‍♂


*आज का प्रेरक प्रसंग*
👇🏽👇🏽👇🏽👇🏽

*💐न माया मिली न राम!*💐

किसी गाँव में दो दोस्त रहते थे. एक का नाम हीरा था और दूसरे का मोती. दोनों में गहरी दोस्ती थी और वे बचपन से ही खेलना-कूदना, पढना-लिखना हर काम साथ करते आ रहे थे.

जब वे बड़े हुए तो उनपर काम-धंधा ढूँढने का दबाव आने लगा. लोग ताने मारने लगे कि दोनों निठल्ले हैं और एक पैसा भी नही कमाते.

एक दिन दोनों ने विचार-विमर्श कर के शहर की ओर जाने का फैसला किया. अपने घर से रास्ते का खाना पीना ले कर दोनों भोर होते ही शहर की ओर चल पड़े.

शहर का रास्ता एक घने जंगल से हो कर गुजरता था. दोनों एक साथ अपनी मंजिल की ओर चले जा रहे थे. रास्ता लम्बा था सो उन्होंने एक पेड़ के नीचे विश्राम करने का फैसला किया. दोनों दोस्त विश्राम करने बैठे ही थे की इतने में एक साधु वहां पर भागता हुआ आया. साधु तेजी से हांफ रहा था और बेहद डरा हुआ था.

मोती ने साधु से उसके डरने का कारण पूछा.

साधु ने बताय कि-

आगे के रास्ते में एक डायन है और उसे हरा कर आगे बढ़ना बहुत मुश्किल है, मेरी मानो तुम दोनों यहीं से वापस लौट जाओ.

इतना कह कर साधु अपने रास्ते को लौट गया.

हीरा और मोती साधु की बातों को सुन कर असमंजस में पड़ गए. दोनों आगे जाने से डर रहे थे. दोनों के मन में घर लौटने जाने का विचार आया, लेकिन लोगों के ताने सुनने के डर से उन्होंने आगे बढ़ने का निश्चेय किया.

आगे का रास्ता और भी घना था और वे दोनों बहुत डरे हुए भी थे.  कुछ दूर और चलने के बाद उन्हें एक बड़ा सा थैला पड़ा हुआ दिखाई दिया. दोनों दोस्त डरते हुए उस थैले के पास पहुंचे.

उसके अन्दर उन्हें कुछ चमकता हुआ नज़र आया. खोल कर देखा तो उनकी ख़ुशी का कोई ठिकाना ही न रहा. उस थैले में बहुत सारे सोने के सिक्के थे. सिक्के इतने अधिक थे कि दोनों की ज़िंदगी आसानी से पूरे ऐश-ओ-आराम से कट सकती थी. दोनों ख़ुशी से झूम रहे थे, उन्हें अपने आगे बढ़ने के फैसले पर गर्व हो रहा था.

साथ ही वे उस साधु का मजाक उड़ा रहे थे कि वह कितना मूर्ख था जो आगे जाने से डर गया.

अब दोनों दोस्तों ने आपस में धन बांटने और साथ ही भोजन करने का निश्चेय किया.

दोनों एक पेड़ के नीचे बैठ गए. हीरा ने मोती से कहा कि वह आस-पास के किसी कुएं से पानी लेकर आये, ताकि भोजन आराम से किया जा सके. मोती पानी लेने के लिए चल पड़ा.

मोती रास्ते में चलते-चलते सोच रहा था कि अगर वो सारे सिक्के उसके हो जाएं तो वो और उसका परिवार हमेशा राजा की तरह रहेगा. मोती के मन में लालच आ चुका था.

वह अपने दोस्त को जान से मर डालने की योजना बनाने लगा. पानी भरते समय उसे कुंए के पास उसे एक धारदार हथियार मिला. उसने सोचा की वो इस हथियार से अपने दोस्त को मार देगा और गाँव में कहेगा की रास्ते में डाकुओं ने उन पर हमला किया था. मोती मन ही मन अपनी योजना पर खुश हो रहा था.

वह पानी लेकर वापस पहुंचा और मौका देखते ही हीरा पर पीछे से वार कर दिया. देखते-देखते हीरा वहीं ढेर हो गया.

मोती अपना सामान और सोने के सिक्कों से भरा थैला लेकर वहां से वापस भागा.

कुछ एक घंटे चलने के बाद वह एक जगह रुका. दोपहर हो चुकी थी और उसे बड़ी जोर की भूख लग आई थी. उसने अपनी पोटली खोली और बड़े चाव से खाना-खाने लगा.

लेकिन ये क्या ? थोड़ा खाना खाते ही मोती के मुँह से खून आने आने लगा और वो तड़पने लगा. उसे

एहसास हो चुका था कि जब वह पानी लेने गया था तभी हीरा ने उसके खाने में कोई जहरीली जंगली बूटी मिला दी थी. कुछ ही देर में उसकी भी तड़प-तड़प कर मृत्यु हो गयी.

अब दोनों दोस्त मृत पड़े थे और वो थैला यानी माया रूपी डायन जस का तस पड़ा हुआ था.

जी हाँ दोस्तों उस साधु ने एकदम ठीक कहा था कि आगे डायन है. वो सिक्कों से भरा थैला उन दोनों दोस्तों के लिए डायन ही साबित हुआ. ना वो डायन रूपी थैला वहां होता न उनके मन में लालच आता और ना वे एक दूसरे की जाना लेते.

मित्रों! यही जीवन का सच भी है. हम माया यानी धन-दौलत-सम्पदा  एकत्रित करने में इतना उलझ जाते हैं कि अपने रिश्ते-नातों तक को भुला देते हैं. माया रूपी डायन आज हर घर में बैठी है. इसी माया के चक्कर में मानव दानव बन बैठा है. हमें इस प्रेरक कहानी से ये सीख लेनी चाहिए की हमें कभी भी पैसे को ज़रुरत से अधिक महत्त्व नहीं देना चाहिए और अपनी दोस्ती… अपने रिश्तों के बीच में इसको कभी नहीं लाना चाहिए.

और हमारे पूर्वज भी तो कह गए हैं-

माया के चक्कर में दोनों गए, न माया मिली न राम

इसलिए हमें हमेशा माया के लोभ व धन के लालच से बचना चाहिए और ज्यादा ना सही पर कुछ समय भगवान् की अराधना में ज़रूर लगाना चाहिए.


Moral stories in hindi,Hindi story,hindi kahani,kahaniya,kahaniya,jadui kahaniya,hindikahaniya,kahani hindi अवसर की पहचान

Moral stories in hindi,Hindi story,hindi kahani,kahaniya,kahaniya,jadui kahaniya,hindikahaniya,kahani hindi अवसर की पहचान

Moral stories in hindi,Hindi story,hindi kahani,kahaniya,kahaniya,jadui kahaniya,hindikahaniya,kahani hindi अवसर की पहचान

bhoot ki kahaniya,pariyo ki kahani,bachcho ki kahani,hasy kathaye,lok kathaye,motovational story,prerak prasang,moral kahaniya,hindi story

🙇‍♂🙇‍♂🙇‍♂🙇‍♂🙇‍♂🙇‍♂🙇‍♂🙇‍♂🙇‍♂🙇‍♂

*आज का प्रेरक प्रसंग*
👇🏽👇🏽👇🏽👇🏽👇🏽👇🏽

*🎀अवसर की पहचान*🎀

एक बार एक ग्राहक चित्रों की दुकान पर गया।उसने वहां पर अजीब से चित्र देखे। पहले चित्र में चेहरा पूरी तरह बालों से ढका हुआ था और पैरों में पंख थे। एक दूसरे चित्र में सिर पीछे से गंजा था। ग्राहक ने पूछा,'यह चित्र किसका है?' दुकानदार ने कहा,'अवसर का।' ग्राहक ने पूछा,'इसका चेहरा बालों से ढका क्यों है?' दुकानदार ने कहा क्योंकि अक्सर जब अवसर आता है तो मनुष्य उसे पहचानता नहीं है। ग्राहक ने पूछा,'इसके पैरों में पंख क्यों है?' दुकानदार ने कहा, 'वह इसलिए कि यह तुरंत वापस भाग जाता है,यदि इसका उपयोग न हो तो यह तुरंत उड़ जाता है।' ग्राहक ने पूछा '......और यह दूसरे चित्र में पीछे से गंजा सिर किसका है?' दुकानदार ने कहा, यह भी अवसर का है। यदि अवसर को सामने से ही बालों से पकड़ लेंगे तो वह आपका है। अगर आपने पकड़ने में देरी की तो पीछे का गंजा सिर हाथ आएगा और वो फिसलकर निकल जाएगा। वह ग्राहक इन चित्रों का रहस्य जानकर हैरान था पर अब वह बात समझ चुका था। आपने कई बार दूसरों को यह कहते हुए सुना होगा या खुद भी कहा होगा कि हमें अवसर ही नहीं मिला। लेकिन ये अपनी जिम्मेदारी से भागने और अपनी गलती को छुपाने का बस एक बहाना है। भगवान ने हमें ढेरों अवसरों के बीच जन्म दिया है। अवसर हमारे सामने से आते -जाते रहते है पर हम उसे पहचान नहीं पाते ।

Moral stories in hindi,Hindi story,hindi kahani,kahaniya,kahaniya,jadui kahaniya,hindikahaniya,kahani hindi, आत्म मूल्यांकन

Moral stories in hindi,Hindi story,hindi kahani,kahaniya,kahaniya,jadui kahaniya,hindikahaniya,kahani hindi, आत्म मूल्यांकन bhoot ki ...