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भगवान् पर भरोसा
- एक दिन पृथ्वी, हवा और वर्षा एक बड़ी चट्टान से बातें कर रहे थे | चट्टान ने कहा, ‘तूम सब एक साथ मिल जाओ, तब भी तुम मेरा मुकाबला नहीं कर सकती |’
पृथ्वी और हवा दोनों इस बात पर सहमत थी कि चट्टान बहुत मजबूत है, पर वर्षा इस बात पर सहमत नहीं थी कि वह चट्टान का मुकाबला नहीं कर सकती | उसने कहा, ‘तुम मजबूत हो, यह मैं जानती हूँ, लेकिन मैं कमजोर नहीं |’
इस बात को सुनकर पृथ्वी, हवा और चट्टान हँसने लगे | तब वर्षा ने कहा, देखो, मैं क्या कर सकती हूँ | यह कहकर वह तेज गति से बरसने लगी | कई दिन बरसने पर चट्टान को कुछ नहीं हुआ | कुछ समय बाद पृथ्वी और हवा पुन: हँसने लगी | प्रतिउत्तर में वर्षा ने कहा, ‘थोड़ा धैर्य रखो बहन |’
वर्षा चट्टान पर लगातार दो वर्षों तक बरसती रही | उसके कुछ समय बाद हवा और पृथ्वी चट्टान से मिलने पहुंची | देखा, चट्टान बीच से कट गयी है | तब वर्षा ने कहा, “यह छेद चट्टान को हिंसक रूप से काटकर नहीं बनाया गया, बल्कि यह चट्टान पर मेरे लगातार, नियमित रूप से गिरने से बना है |”
Moral of Story : इस शिक्षाप्रद कहानी से सीख मिलती है कि कठिन से कठिन लक्ष्य पाने के लिए अभ्यास की निरंतरता आवश्यक है |
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