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*आज का प्रेरक प्रसंग*
!! *संघर्ष का महत्व*!!
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एक गांव में एक गरीब किसान रहता था । वह खेती किया करता था | एक बार बाढ़ आ जाने से उसकी सारी फसल खराब हो गई । उसने हार नही मानी और फसल बोई, अबकी बार बारिश ही नहीं आयी। लगातार दो फसलें के खराब हो जाने से उसे भगवान पर गूस्सा आया और वह उन्हे कोसने लगा | उस किसान की बातें सूनकर प्रभू प्रकट हुए। भगवान ने उस किसान से मनचाही वरदान मांगने को कहा और उसके पूरे होने का आश्वासन भी दिया | किसान ने कहा कि- सिर्फ एक साल मुझे मौका दीजिए, जैसा मौसम मैं चाहूं, वैसा हो जाए। फिर आप देखना मैं कैसे अन्न के भंडार भर दूंगा। भगवान ने उसे ये वरदान दे दिया।
किसान ने गेहूं की फ़सल बोई।
उसने जैसा मौसम चाहा, उसे मिला। समय के साथ फसल बढ़ी और किसान की ख़ुशी भी। क्योंकि ऐसी फसल तो पहले कभी नहीं नहीं हुई थी। किसान ने सोचा अब पता चलेगा भगवान को, कि फसल कैसे करते हैं, बेकार ही इतने साल हम किसानों को परेशान करते रहे। फसल काटने का समय भी आया, किसान बड़े गर्व से खेत में गया, लेकिन जैसे ही फसल काटने लगा तो उसने देखा कि बाली में एक भी गेहूं का दाना नहीं था। ये देखकर किसान बहुत दुखी हो गया और उसने परमात्मा से क्हा- आपने ऐसा क्यों किया?
भगवान प्रकट हुए और बोलें
ये तो होना ही था, तुमने पौधों को संघर्ष का ज़रा सा भी मौका नहीं दिया। इसीलिए सब पौधे खोखले रह गए। जब आंधी और तेज बारिश होती है तो पौधा विपरीत परिस्थिति में खुद को बचाने के लिए संघर्ष करता है, इससे उसके अंदर ऊर्जा का संचार होता है। तभी उसमें से अन्न उपजता है। भगवान की बात सुनकर किसान को अपनी गलती का अहसास हुआ।
*कथानक का प्रेरणादायक सारांश:*
लाइफ में कई बार ऐसा समय आता है जब हम हर तरफ से हताश हो जाते हैं तब भगवान को कोसते हैं। लेकिन इसका दूसरा नजरिया भी है। अगर हमें बिना किसी परेशानी के सबकुछ आसानी से मिल जाएगा तो हम संघर्ष का महत्व नहीं समझ पाएंगे